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बरौद-जामपाली माइंस में अवैध गतिविधियों का अड्डा बना, कंपनियों पर लगे गंभीर आरोप - सुरेंद्र सिंह चौधरी

बरौद-जामपाली माइंस में अवैध गतिविधियों का अड्डा बना, कंपनियों पर लगे गंभीर आरोप - सुरेंद्र सिंह चौधरी

*भूमिपुत्रों को न रोजगार, न सम्मान,बाहरी असामाजिक तत्वों का बोलबाला*

घरघोड़ा : बरौद एवं जामपाली क्षेत्र की माइंस में संचालित महालक्ष्मी एवं के.पी.एल. कंपनियों की कार्यप्रणाली को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में गहरा असंतोष देखा जा रहा है। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), घरघोड़ा को नगर पँचायत घरघोड़ा अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चौधरी द्वारा सौंपे गए शिकायती आवेदन में आरोप लगाया गया है कि ये कंपनियाँ विभिन्न नियमों और कानूनों को दरकिनार करते हुए अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं।

*वन अतिक्रमण और अवैध मार्ग निर्माण*

शिकायत के अनुसार, बरौद माइंस से लगे आरक्षित वन क्षेत्र में कंपनियों द्वारा अवैध रूप से मार्ग निर्माण कर दिया गया है। इस रास्ते का उपयोग भारी वाहनों की बेरोकटोक आवाजाही के लिए किया जा रहा है, जिससे न केवल वन क्षेत्र को नुकसान पहुँच रहा है, बल्कि वन संरक्षण कानूनों का भी उल्लंघन हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस कार्य के लिए न किसी अनुमति की जानकारी है और न ही किसी जिम्मेदार विभाग की मंजूरी।

*ओवरलोड गाड़ियाँ और बिना परमिट संचालन*

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि माइंस क्षेत्र में ओवरलोडेड हाइवा गाड़ियों का निरंतर संचालन हो रहा है, जिससे सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। इतना ही नहीं, बिना वैध परमिट के पीसी (लोडिंग) गाड़ियाँ भी क्षेत्र में सक्रिय हैं, जिससे परिवहन नियमों की धज्जियाँ उड़ रही हैं।

*भूमिपुत्रों की उपेक्षा, बाहरी गुंडों को संरक्षण*
           सबसे गंभीर आरोप यह है कि इन कंपनियों ने स्थानीय भूमिपुत्र बेरोजगार युवाओं को नजरअंदाज कर बाहरी असामाजिक तत्वों को कार्य में लगा रखा है, वो भी बिना किसी पुलिस सत्यापन या चरित्र प्रमाणपत्र के। ग्रामीणों ने बताया कि इन बाहरी लोगों के कारण गांव में भय का माहौल बन गया है। मामूली बातों पर झगड़ा, धमकी और दुर्व्यवहार की घटनाएँ आम होती जा रही हैं।

*प्रशासनिक चुप्पी से बढ़ रहा आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी*

ग्रामीणों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इन अवैध गतिविधियों पर शीघ्र अंकुश नहीं लगाया गया, तो वे शांतिपूर्ण आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ग्रामीणों ने मांग की है कि इन कंपनियों की गतिविधियों की उच्च स्तरीय जांच कर आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाए, जिससे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित हो सके। इस पूरे मामले में अब तक प्रशासनिक चुप्पी पर भी प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने मांग की है कि संबंधित अधिकारियों को तत्काल स्थल निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की पुष्टि करनी चाहिए।

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