Waqf Law: वक्फ कानून पर आज सुप्रीम सुनवाई, याचिकाओं पर अंतरिम आदेश की जरूरत है या नहीं सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला.....
Supreme Court Hearing Today On Waqf Law: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम सुनवाई होगी। वक्फ याचिकाओं पर अंतरिम आदेश की जरूरत है या नहीं, देश का शीर्ष न्यायालय आज फैसला करेगा। आज होने वाली याचिकाओं में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर याचिका भी शामिल है। याचिकाओं में कहा गया है कि इस कानून के प्रावधान वक्फ के इस्लाम से जुड़े पारंपरिक और ऐतिहासिक संबंध में दखल देते हैं। साथ ही, यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जो धार्मिक मामलों में स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। CJI संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर होने वाले हैं, इसलिए उनके पास समय कम है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने, सेंट्रल वक्फ काउंसिल समेत बोर्ड्स में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं पर सरकार से जवाब मांगा था और याचिकाकर्ता को भी इस जवाब पर रिजॉइंडर दाखिल करने के लिए समय दिया था।
सरकार ने 1332 पेज का हलफना दिया है
वक्फ संशोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे में वक्फ बाई यूजर को सही बताया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए 1332 पेज के हलफनामे में पुराने वक्फ कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ‘वक्फ बाई यूजर’ सहित वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन साल 1923 से ही अनिवार्य है। सरकार ने कहा कि वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025, आस्था और पूजा के मामलों को अछूता छोड़ता है और मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं का सम्मान करता है। सरकार की ओर से दायर इस हलफनामे में यह भी दावा किया गया कि इस कानून में 2013 के संशोधन के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख एकड़ की बढ़ोतरी हुई है। प्राइवेट और सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए वक्फ प्रावधानों के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया गया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से वक्फ (संशोधन) एक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया और इसे वास्तव में चौंकाने वाला बताया कि 2013 के संशोधन के बाद औकाफ एरिया में 116 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
वक्फ कानून के विरोधी झूठ फैला रहे-सरकार
सरकार का कहना है कि वक्फ कानून के विरोधी झूठ फैला रहे हैं। सरकार ने इस अधिनियम को एक धर्मनिरपेक्ष कानून बताया है। केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ताओं पर आरोप लगाया है कि वे यह झूठी कहानी बना रहे हैं कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। सरकार का कहना है कि हर वक्फ का अनिवार्य पंजीकरण, जिसमें ‘waqf by user’ भी शामिल है, एक सदी से भी पुराना प्रावधान है। ‘वक्फ बाय यूजर’ का मतलब है कि अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ के तौर पर इस्तेमाल हो रही है, तो उसे वक्फ में रजिस्टर किया जा सकता है।
सरकार गुमराह कर रही है-मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
वहीं मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने केंद्र के इस दावे का विरोध किया है कि 2013 के बाद वक्फ संपत्तियों में ‘चौंकाने वाली वृद्धि’ हुई है। AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार अदालत को ‘गुमराह’ कर रही है और ‘एक ऐसी तस्वीर पेश कर रही है जो मौजूद नहीं है’। बोर्ड ने कहा कि 2013 से पहले वक्फ के रूप में पंजीकृत सभी संपत्तियों को केंद्र के वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर तुरंत अपलोड नहीं किया गया था, जब यह चालू हुआ था। WAMSI पोर्टल वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड रखने के लिए बनाया गया है।
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