विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस 16 अप्रैल पर विशेष ...शिक्षण एवं शोध से संवरेगा पत्रकारिता विश्वविद्यालय - डॉ शाहिद अली
रायपुर/ 21 बरस के हो रहे कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय का आज स्थापना दिवस है। सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान एवं राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रेरणास्रोत ऋषि तुल्य कुशाभाऊ ठाकरे जी की स्मृति में इस विश्वविद्यालय की आधारशिला 16 अप्रैल 2005 को लोकप्रिय कवि, लेखक एवं राजनेता तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने रखी। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में विधानसभा के माननीय अध्यक्ष डॉ रमन सिंह सहित अनेक प्रतिष्ठित जनों के मध्य जब इस विश्वविद्यालय की नींव रखी गई वह एक ऐतिहासिक और महान गौरवशाली दिवस रहा। स्थापना काल के समय उच्च शिक्षा मंत्री श्री अजय चंद्राकर जी की भूमिका काफी उल्लेखनीय रही। छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के क्षेत्र का यह तीसरा विश्वविद्यालय था लेकिन इस संस्था की ख्याति देश के पहले मीडिया गुरुकुल के रूप में इसके पहले और दूसरे कुलपति डॉ सच्चिदानन्द जोशी के नेतृत्व में मिली। भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सुप्रसिद्ध कविता 'कदम मिलाकर चलना होगा', विश्वविद्यालय का कुलगीत बना। भारतीय ज्ञान परंपरा और चिंतन की मूल अवधारणा 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना से प्रेरित विश्वविद्यालय के उद्देश्यों को रेखांकित किया गया। मीडिया में मूल्य आधारित शिक्षा के संस्कार और सरोकार की संकल्पना को साकार करने का बीज मंत्र ऋग्वेद की ऋचा 'भद्रं नोअपि वाताय मनो दक्षमुत क्रतुम' से लिया गया, अर्थात हे देव हमारे मन को शुभ संकल्प वाला बनाओ, हमारी अंतरात्मा को शुभ कर्म करने वाला बनाओ और हमारी बुद्धि को शुभ विचार करने वाली बनाओ। शिक्षा संस्थान के मूल में यह मंत्र विद्यार्थियों में संस्कार को जन्म देता है क्योंकि राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी और निष्ठावान वृतिज्ञों में ऐसी शिक्षा से मन, आत्मा और बुद्धि का परिष्कार होता है।
आज मीडिया के क्षेत्र में शिक्षा एवं शोध का महत्व बढ़ता जा रहा है। देश और दुनिया में मीडिया के बढ़ते प्रभाव और तकनीकी विस्तार ने मीडिया में नवीनतम आयामों और अवसरों को जन्म दिया है। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया एवं डिजीटल मीडिया का संजाल युवाओं को आकर्षित कर रहा है। उद्यमियों के लिए मीडिया एक ताकतवर व्यवसाय है। संप्रेषण कला की विविधता और वैचारिक स्वतन्त्रता को नई ताकत मिली है। जनसंचार माध्यमों के विकास ने अभिव्यक्ति को सम्यक दृष्टि प्रदान की है। इसलिए पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालयों का महत्व बढ़ता जा रहा है।
छत्तीसगढ़ पत्रकारिता की उर्वरा भूमि रही है। इसलिए छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता एवं जनसंचार के वृतिज्ञों में कौशल युक्त शिक्षा और शोध का केंद्र विश्वविद्यालय की स्थापना है। पत्रकारिता, जनसंचार, जनसंपर्क एवं विज्ञापन, मीडिया प्रबंधन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विभिन्न आयामों के साथ शिक्षण, शोध एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था समुचित रूप से की गई। विश्वविद्यालय के प्रारंभिक विकास में डॉ सच्चिदानन्द जोशी ने योग्य शिक्षकों की नियुक्तियां, आवासीय, प्रशासनिक एवं अकादमिक भवनों का निर्माण, ग्रंथालय, पीजी पाठ्यक्रमों, पीएचडी एवं शोध पीठों का शुभारंभ व्यवस्थित रूप से किया। डॉ जोशी के कार्यकाल में ही परम पावन दलाई लामा का ऐतिहासिक आगमन दीक्षांत समारोह में हुआ। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की अनेकों शोध संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन भी डॉ जोशी की उपलब्धियां रहीं। तीसरे कुलपति के रूप में अकादमिक जगत के ख्यात विद्वान प्रोफेसर मानसिंह परमार ने अकादमिक व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया। प्रो.परमार ने स्नातक स्तर के बहुविध पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किया साथ ही शोध की उत्कृष्टता को विस्तार दिया। इस दौरान डॉ परमार ने प्रायोगिक प्रशिक्षण की दृष्टि से कम्युनिटी रेडियो एवं टीवी स्टूडियो की व्यवस्था की। दीक्षांत समारोह का प्रमुख आयोजन भी हुआ। डॉ परमार के पश्चात कुछ दिनों कुलपति का प्रभार कमिश्नर श्री जी आर चुरेंद्र ने संभाला। तत्पश्चात् श्री बल्देव भाई शर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए। कोविड के कारण वर्ष 2020 एवं 2021 का शैक्षणिक विकास प्रभावित हुआ। मार्च 2025 से विश्वविद्यालय को पुनः संवारने और उसे मजबूत दिशा प्रदान करने का कार्य आईएएस कुलपति एवं कमिश्नर श्री महादेव कांवरे जी के कुशल मार्गदर्शन में हो रहा है। राज्य प्रशासनिक सेवा के प्रतिभाशाली युवा अधिकारी श्री सुनील कुमार शर्मा विश्वविद्यालय के कुलसचिव के रूप में दायित्व संभाल रहे हैं। दोनों प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय को अपने नीतिगत संकल्पों हमने बनाया है हम ही संवारेंगे की कसौटी पर विकसित कर रही है। निश्चित ही राज्य में उच्च शिक्षा विभाग की एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में यह विश्वविद्यालय शिक्षा एवं शोध की नई उंचाई प्राप्त करेगा।
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