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अम्बिकापुर शहर के 95 वर्ष पुराने प्रभु श्री राम मंदिर में आज परंपरा अनुसार राजपरिवार की प्रथम पूजा के साथ रामनवमी का पर्व पूरी आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया।



अम्बिकापुर शहर के 95 वर्ष पुराने प्रभु श्री राम मंदिर में आज परंपरा अनुसार राजपरिवार की प्रथम पूजा के साथ रामनवमी का पर्व पूरी आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। 

अंबिकापुर/ इस अवसर पर सरगुजा राजपरिवार के मानद महाराज एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री टी0 एस0 सिंहदेव ने पूजा उपरांत दोपहर ठीक 12 बजे मंदिर के गर्भगृह का पट खोलकर प्रकटोत्सव की शुरुआत की। वर्ष 1930 में पूर्व महाराज स्व0 श्री मदनेश्वर शरण सिंहदेव के जन्म पर तत्कालीन सरगुजा रियासत के महाराज स्व0 श्री रामानुज शरण सिंहदेव ने प्रभु श्री राम के मंदिर का निर्माण कराया था। 90 के दशक में अमरकंटक के कल्याण बाबा के अनुरोध पर पूर्व महाराज स्व0 श्री मदनेश्वर शरण सिंहदेव एवं महारानी स्व0 देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव ने श्री राममंदिर को कल्याण आश्रम को दान में दे दिया था। महारानी स्व0 देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव आजीवन इस मंदिर के ट्रस्ट की ट्रस्टी रही थी। रामनवमी के दिन शहर के इस प्रचीन राममंदिर में परंपरा रही है कि सरगुजा महाराज या उनके प्रतिनिधि के द्वारा प्रथम पूजा की जाती है एवं गर्भगृह का पट खोला जाता है। आज दोपहर 12 बजे श्री राममंदिन में पूजा एवं गर्भगृह के पट को खोलने के उपरांत श्री टी0एस0 सिंहदेव ने सभी नागरिकों को रामनवमी की बधाई दी एवं प्रभु श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम के आचरण को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि रियासतकाल से सरगुजा राजपरिवार की पारिवारिक परंपरा सनातन धर्म की रही है, लेकिन निति के रुप में परिवार सर्वधर्म सद्भाव पर यकीन करता है। सर्वधर्म सद्भाव के साथ ही परिवार सरगुजा के आदीवासी संस्कृति के परंपराओं को भी अपने पूजा पद्धति में समावेश करता है। उन्होंने कहा कि चाहे रामनवमी में प्रभु श्री राम के मंदिर की प्रथम पूजा हो या नवरात्री में मां महामाया मंदिर में संधि पूजा हो सरगुजा राजपरिवार अपने परिवार के इन सनातनी परंपराओं को पूर्ण करने के लिये कृत संकल्पित है। रामनवमी की पूजा के उपरांत उन्होंने राजपरिवार की ओर से राममंदिर परिसर में आयोजित भंडारे को भी प्रारंभ किया और श्रद्वालुओं को भंडारे के प्रसाद का वितरण किया।

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