राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की वार्षिक प्रांत प्रचारक बैठक इस वर्ष 4 से 6 जुलाई के बीच दिल्ली के केशवकुंज स्थित संघ कार्यालय में आयोजित की जाएगी. RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि इस बैठक में देश के 11 क्षेत्रों और 46 प्रांतों से प्रचारक, सह-प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, सह-क्षेत्र प्रचारक और संघ से जुड़े संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री शामिल होंगे. यह बैठक संगठनात्मक समन्वय, भविष्य की योजनाओं और राष्ट्र निर्माण से संबंधित अभियानों की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
मार्च 2025 में सम्पन्न होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के बाद, अप्रैल, मई और जून में आयोजित प्रशिक्षण वर्गों की गहन समीक्षा और भविष्य की कार्ययोजनाओं पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी. इस बैठक में संघ के विभिन्न प्रशिक्षण वर्गों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, साथ ही शताब्दी वर्ष (2025-26) के लिए योजनाएं भी प्रमुखता से रखी जाएंगी. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की आगामी वर्ष की प्रवास रूपरेखा पर भी विचार किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि शताब्दी वर्ष के विशेष कार्यक्रम 2 अक्टूबर 2025, विजयादशमी से प्रारंभ होंगे और अगले वर्ष विजयादशमी 2026 तक देशभर में विभिन्न आयोजनों के रूप में मनाए जाएंगे.
अहम बैठक में संघ के शीर्ष नेतृत्व का जमावड़ा
संघ की भविष्य की दिशा निर्धारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें संघ के शीर्ष नेतृत्व के सदस्य शामिल होंगे. इस बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, सी.आर. मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त, आलोक कुमार, अतुल लिमये सहित अखिल भारतीय कार्य विभाग के प्रमुख, सह प्रमुख और कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहेंगे. सरसंघचालक 28 जून को दिल्ली पहुंचेंगे. यह बैठक संघ की आगामी रणनीतियों को निर्धारित करने के साथ-साथ शताब्दी वर्ष की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
सरसंघचालक 28 जून को पहुंचेंगे दिल्ली
बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, सी.आर. मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त, आलोक कुमार, अतुल लिमये और अखिल भारतीय कार्य विभाग के प्रमुख, सह प्रमुख तथा कार्यकारिणी सदस्य शामिल होंगे. सरसंघचालक 28 जून को दिल्ली पहुंचेंगे. यह बैठक संघ की आगामी रणनीति और शताब्दी वर्ष की तैयारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
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