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ये कैसी राजनीति लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियां अपने हिसाब से कुछ भी करने के लिए समर्थ.

ये कैसी राजनीति लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियां अपने हिसाब से कुछ भी करने के लिए समर्थ.
                                           अयोध्या में नवीन बन रहे श्रीराम मंदिर के अधूरे निर्माण के बाद भी देश के सम्माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी लोकार्पण करने गए ।तब पूरे देश में उत्सव  का माहौल बनाया गया। केवल  भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए लोग 
 ही नहीं अपितु जो भी हिन्दू धर्म को मानता है । सबने इसे उत्सव के रूप में मनाया। जबकि किसी भी मंदिर का लोकार्पण तभी होना चाहिये जब की वह पूर्ण रूप से बन जाये। किन्तु उस समय चुनाव होना था । तत्कालीन प्रधानमंत्री जी को जल्दी थी। उन्होंने इसका लोकार्पण किया। पूरा देश उनके साथ था। 

किन्तु ठीक ऐसी ही एक स्थिति अम्बिकापुर जिला सरगुजा छत्तीसगढ़ में निर्मित हुई, जहां तक मुझे जो जानकारी है केवल पेंटिंग का कार्य शेष रह गया था।  आगामी स्थानीय स्वशासन नगर निगम चुनाव को लेकर कभी भी आचार संहिता लगने का अंदेशा था। इसे देखते हुए नगर  निगम अम्बिकापुर में सत्तारूढ़ नगर निगम स्वशासन ने अम्बिकापुर की अराध्य देवी मां महामाया के प्रवेश द्वार का लोकार्पण कर दिया। 

7 जनवरी2025 को छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री टी एस सिंहदेव, पूर्व खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, अम्बिकापुर नगर निगम महापौर डॉ अजय तिर्की, नगर निगम अम्बिकापुर के सभापति अजय अग्रवाल, वरिष्ठ पार्षद एवं एमआई सी में निर्माण विभाग के प्रभारी शफी अहमद सहित एमआई सी के समस्त सदस्य सहित पार्षदगण उपस्थित रहे। एक तरह से देखा जाये तो लोकतंत्रात्मक पद्वति से चयनित नगर निगम स्वशासन के महापौर   डॉ अजय तिर्की के निर्देशन में आमंत्रित वरिष्ठ जन वहां पर उपस्थित रहे। जिन्होंने निगम के द्वारा बनाए गए  मां महामाया के प्रवेश द्वार का लोकार्पण किया। साथ ही जहां तक मुझे जानकारी है कि इस लोकार्पण समारोह में उपस्थित अतिथियों के अलावा अन्य राजनैतिक दलों के जन प्रतिनिधियों एवं गणमान्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया था।
 
किन्तु पुनः राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से वशीभूत होकर 15 जनवरी 2025 को  महामाया मंदिर प्रवेश द्वार का लोकार्पण किया गया। साथ ही यह बताने की कोशिश किया गया  कि पहले  किया गया लोकार्पण,लोकार्पण नहीं बल्कि कुछ और था। जब देश के प्रधानमंत्री  आधे-अधूरे राम मंदिर अयोध्या का लोकार्पण कर रहे थे,तो भाजपा जनप्रतिनिधियों में से किसी भी एक जनप्रतिनिधि की यह स्थिति नहीं थी कि वह लोकार्पण का विरोध करे। और यह बोले की यह आधा-अधूरा है। किन्तु राजनीतिक लाभ और हर मामले में  अपना ही नाम हो । लोकतंत्र में इस तरह के प्रतिस्पर्धा से आमजन  आहत्  हो रहा है। लोगों की धार्मिक भावनाओं को राजनैतिक दलों के द्वारा दमन किया जा रहा है। हम सभी को ज्ञात है कि मां महामाया सरगुजा राजपरिवार की कुलदेवी  हैं और यह मंदिर सरगुजा राजपरिवार की निजी सम्पत्ति भी है। ऐसी स्थिति में यदि सरगुजा राजपरिवार के मुखिया टी एस सिंहदेव के हाथों नगर निगम अम्बिकापुर के स्थानीय स्वशासन की सरकार ने उनसे प्रवेश द्वार का लोकार्पण करा दिया था तो फिर से महामाया मंदिर प्रवेश द्वार के लोकार्पण की  क्या आवश्यकता थी? लोगों को तो इसके लिए धन्यवाद देना चाहिए था कि एक राज परिवार ने अपने कुलदेवी के पूजा का अधिकार सभी को दे रखा है। नहीं तो जरा सोचिए कि हम सभी में से अधिकतर लोग ऐसे ही है जो अपने कुलदेवी-देवता के पूजा का अधिकार अपने परिवार के अलावा किसी और को नहीं  देते हैं। 

सवाल कई है किन्तु राजनीति करने वाले लोग कभी इसका जवाब नहीं देंगे। क्योंकि जबरन की चीजों में नाम कमाना ही इनकी नियति बन गई है। भारतीय जनता पार्टी के  द्वारा  15 जनवरी 2025 को पुनः महामाया प्रवेश द्वार का  लोकार्पण कर जनमानस की भावनाओं को आहत किया गया है। राजनैतिक दल विकास के मुद्दों, भ्रष्टाचार एवं अपनी जवाबदेही से बचने के लिए धर्म - जाति की राजनीति को अपनी  क्यों ढाल बना रहे हैं?
 सादर!
मंगल पाण्डेय 
समाजसेवी

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