भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया "स्वच्छ भारत मिशन" एक क्रांतिकारी कदम है। इस मिशन में देश की लाखों महिलाओं ने " *स्वच्छता दीदी* " बनकर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये महिलाएं न केवल घर-घर जाकर कचरा संग्रह करती हैं, बल्कि उसे मणिकंचन केंद्रों में ले जाकर अलग-अलग प्रकार के कचरे का सही तरीके से सेग्रीगेशन (वर्गीकरण) भी करती हैं।
*डोर-टू-डोर कलेक्शन में योगदान* :–
स्वच्छता दीदियां हर सुबह अपने क्षेत्रों में घर-घर जाकर कचरा संग्रह करती हैं। ये कचरा संग्रह करने के दौरान लोगों को गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग रखने के महत्व के बारे में जागरूक करती हैं। उनकी यह पहल न केवल स्वच्छता सुनिश्चित करती है, बल्कि कचरे के पुन: उपयोग और प्रबंधन के लिए भी सहायक होती है।
*मणिकंचन केंद्र में कचरे का सेग्रीगेशन* :–
डोर-टू-डोर कलेक्शन के बाद स्वच्छता दीदियां कचरे को मणिकंचन केंद्र तक पहुंचाती हैं। यहाँ कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जैसे:
1. गीला कचरा: जो खाद बनाने में उपयोग होता है।
2. सूखा कचरा: जिसे पुन: चक्रित किया जा सकता है।
3. अस्वच्छ और हानिकारक कचरा: जिसे वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाता है।
स्वच्छता दीदियों का कार्य आसान नहीं है। उन्हें घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करना, कचरा इकट्ठा करना, और मणिकंचन केंद्र तक ले जाना कई बार मुश्किल भरा होता है। इसके बावजूद, उनका दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत इस मिशन की सफलता का मुख्य आधार है।
*स्वच्छता दीदियों का प्रभाव* :–
स्वच्छता दीदियों के प्रयासों से न केवल शहरों और गांवों में स्वच्छता में सुधार हुआ है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिली है। उनके काम ने यह साबित किया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में नेतृत्व कर सकती हैं और सामाजिक परिवर्तन ला सकती हैं।
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