⚡️जनवरी माह में होने वाले सेमेस्टर परीक्षा से वाणिज्य विभाग के प्राध्यापकों ने 90 % छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरने से किया इनकार।
⚡️आजाद सेवा संघ ने राजीव गांधी पीजी कॉलेज के गेट पर किया तालाबंदी l
⚡️आजाद सेवा संघ के साथ छात्रों ने किया महाविद्यालय में प्रदर्शन, प्राचार्य ने कहा "जल्द लेंगे छात्रहित में फैसला"।
राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर के वाणिज्य विभाग में हाल ही में छात्रों और प्राध्यापकों के बीच एक गंभीर विवाद उभरा है। वाणिज्य विभाग के चतुर्थ सेमेस्टर से पंचम सेमेस्टर में प्रवेश कर चुके 90% से अधिक छात्रों को जनवरी माह में होने वाली सेमेस्टर परीक्षा के लिए परीक्षा फॉर्म भरने से रोक दिया गया। इस स्थिति से नाराज छात्रों ने गैर-राजनीतिक संगठन "आजाद सेवा संघ" के सहयोग से महाविद्यालय परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया।
छात्रों का आरोप है कि केवल एक विषय में बैक होने के बावजूद उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस नियम के बारे में पहले कभी सूचित नहीं किया गया था। छात्रों ने यह भी सवाल उठाया कि यदि उन्हें परीक्षा देने की पात्रता नहीं थी, तो उनसे टेस्ट, असाइनमेंट और सेमिनार क्यों जमा करवाए गए। इस समस्या से प्रभावित छात्रों ने इसे शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन और प्रशासनिक लापरवाही करार दिया।
आजाद सेवा संघ के प्रदेश सचिव रचित मिश्रा और संघ छात्र मोर्चा के जिला अध्यक्ष प्रतीक गुप्ता ने छात्रों का नेतृत्व करते हुए प्राचार्य से मुलाकात की। उन्होंने इस मुद्दे को तुरंत सुलझाने और छात्रों को राहत देने की मांग की। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की कि यदि प्राध्यापकों द्वारा जानबूझकर छात्रों को गुमराह किया गया है, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रखा, लेकिन उनका आक्रोश इस बात पर था कि उनकी शिक्षा और भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। प्राचार्य ने छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से सुनने के बाद उन्हें आश्वासन दिया कि छात्रहित को ध्यान में रखते हुए जल्द ही उचित निर्णय लिया जाएगा।
इस घटनाक्रम ने महाविद्यालय प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है और यह सवाल उठाया है कि क्या शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और संवाद की कमी छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि महाविद्यालय प्रशासन विचार कर इस मामले का समाधान कैसे करता है और छात्रों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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