सरगुजा / खेती-किसानी पर निर्भर राज्य के अन्नदाता दिन-प्रतिदिन लंबी कतारों, कालाबाज़ारी और अफसरशाही के शोषण का शिकार हो रहे हैं। इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को लेकर पूर्व मंत्री श्री अमरजीत भगत जी ने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, ताकि किसानों की समस्याओं को सीधे सरकार के समक्ष रखा जा सके।लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि एक जनप्रतिनिधि और किसानों के हितों की आवाज़ को सुनने के बजाय, पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें मिलने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया। यह न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है, बल्कि किसानों की आवाज़ को दबाने का शर्मनाक प्रयास भी है।भाजपा सरकार के इस तानाशाही रवैये ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह सरकार किसानों की नहीं, बल्कि सत्ता और दिखावे की हितैषी है।मुख्यमंत्री और प्रशासन से मिलने की लोकतांत्रिक कोशिश को अगर अपराध माना जाए, तो फिर सवाल उठता है कि क्या यही है भाजपा का सुशासन है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार किसानों की ज़मीनी समस्याओं को सुनने के बजाय उनके लिए आवाज़ उठाने वालों को हिरासत में लेने की नीति अपना रही है।
छत्तीसगढ़ की जनता विशेषकर मैनपाट व सरगुजा अंचल के लोग इस अन्याय को देख और समझ रहे हैं। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा की कथनी और करनी में भारी अंतर है।
मैं मांग करता हूं कि किसानों को समय पर खाद और बीज उपलब्ध कराया जाए।जनप्रतिनिधियों को उनकी लोकतांत्रिक भूमिका निर्वहन करने से न रोका जाए।
परवेज आलम गांधी
प्रदेश महासचिव
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी,अल्पसंख्यक विभाग