अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव परवेज़ आलम गांधी ने कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, आज विनाश के कगार पर खड़ा है। परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान परियोजना के लिए जिस घने जंगल को काटा जा रहा है, वह वनाधिकार अधिनियम (FRA) के तहत ग्रामसभा को सामुदायिक वन अधिकार के रूप में मान्य किया गया था। यह अधिकार न केवल जंगल पर ग्रामसभा की परंपरागत निर्भरता को मान्यता देता है, बल्कि उसे उसकी रक्षा और प्रबंधन का संवैधानिक हक भी प्रदान करता है।

दुर्भाग्य से, अदानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए उस सामुदायिक अधिकार पत्र को निरस्त कर दिया गया। न्यायालय से भी ऐसा निर्णय आया जिसने कानून की आत्मा और आदिवासी अधिकारों की भावना को आहत किया। विडंबना यह है कि सत्ता में एक आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद, निर्णयों में आदिवासी जनभावनाओं का सम्मान नहीं दिखता।
दुर्भाग्य है एक पेड़ माँ के नाम लगाने वाले और पर्यावरण प्रेमी ख़ामोश है।
हसदेव अरण्य केवल कोयले का भंडार नहीं, बल्कि लाखों पेड़ों, वन्य जीवों और सैकड़ों ग्रामसभाओं का जीवन है। यह संघर्ष अब केवल जंगल बचाने का नहीं, बल्कि संविधान, पर्यावरण और आदिवासी अस्मिता की रक्षा का प्रतीक बन चुका है।
परवेज़ आलम गांधी
प्रदेश महासचिव
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी,अल्पसंख्यक विभाग



