डॉ मिश्र ने दुरूह और पिछड़े क्षेत्र के विकास के लिए इस रेल लाइन परियोजना को बहु उपयोगी और वाराणसी से सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए हर संभव मदद के लिए आश्वस्त किया।
उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष,खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ एक दिवसीय प्रवास पर अंबिकापुर पहुंचे थे। अंबिकापुर रेणुकूट रेल मार्ग के लिए प्रयासरत,सरगुजा क्षेत्र रेल संघर्ष समिति ने उनसे मुलाकात कर भारत सरकार के आगामी आम बजट 2026- 27 में अंबिकापुर रेणुकूट नई रेल लाइन परियोजना को शामिल करने का प्रस्ताव,उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रेषित करने के लिए मुख्यमंत्री को संबोधित आग्रह पत्र सौंपा।
मुलाकात के दौरान राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ मिश्र ने इस रेल परियोजना और इसकी स्वीकृति के लिए किया जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी रायपुर से मार्ग के माध्यम से सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी के जुड़ने पर न केवल दोनों प्रदेश के लोगों को आवागमन का लाभ मिलेगा, बल्कि सामाजिक,सांस्कृतिक, व्यापारिक, धार्मिक संबंध और मजबूत होंगे। रोजगार और पर्यटन के अवसर का सृजन भी होगा इसलिए प्राथमिकता के आधार पर इस रेल लाइन को मूर्त रूप देने के लिए वे समुचित पहल करेंगे। रेल संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि इस रेल लाइन के पिछले सर्वे में इसका रेट ऑफ़ रिटर्न लगभग 14 प्रतिशत और अक्टूबर 2023 में संपन्न फाइनल लोकेशन सर्वे में इकोनॉमिकल इंटरनल रेट ऑफ़ रिटर्न 19.5 प्रतिशत है जो रेलवे के नई रेल परियोजनाओं के लिए निर्धारित मानकों के सर्वथा उपयुक्त है। आगामी वित्तीय वर्ष 2026-27 के आम बजट में स्वीकृति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से भी रेल से संबंधित केंद्र को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में अंबिकापुर रेणुकूट रेल लाइन को शामिल कर प्रेषित करने से,निश्चित रूप से इसकी स्वीकृति की दिशा में निर्णायक कदम होगा।
चर्चा के दौरान राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ एस के त्रिपाठी, रेल संघर्ष समिति के सदस्य चंद्रशेखर तिवारी, कैलाश मिश्रा, वरिष्ठ समाजसेवी मंगल पाण्डेय , शिवेश सिंह, मुकेश तिवारी, जितेंद्र सिंह, योगेश सोनी, सुभाष गुप्ता, शैलेश सिन्हा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।