अंबिकापुर/ इस दौरान उनके ज्येष्ठ पुत्र पूर्व उपमुख्यमंत्राी एवं सरगुजा रियासत के महाराज श्री टी0एस0 सिंहदेव भी उपस्थित थे। राजमाता स्वण् देवेंद्र कुमारी सिंह देव का जन्म 13 जुलाई 1933 को हिमाचल प्रदेश के जब्बल राज परिवार में हुआ था। अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एवं सरगुजा महाराज स्व. एमएस सिंह देव से विवाह के बाद वे सरगुजा आई थीं। सरगुजा में उन्होंने पूरा वक्त बिताया। यहीं से उन्होंने राजनीति की शुरुआत भी की थी। कांग्रेस की राष्ट्रीय नेत्री स्व. देवेंद्र कुमारी सिंह देव एक बार अंबिकापुर व एक बार बैकुंठपुर से विधायक भी रहीं। अविभाजित मध्य प्रदेश में प्रकाशचंद्र सेठी व अर्जुन सिंह के मंत्री मंडल की वे मंत्री रहीं। उन्हें आवास, पर्यावरण, मध्यम सिंचाई, वित्त विभाग की जवाबदारी दी गई थी। महाराज स्व0 एम0एस0 सिंहदेव के शासकीय सेवा में होने के कारण उन्होंने सरगुजा जिले की सभी राजनैतिक और समाजिक जिम्मेदारियों को सम्हाल लिया था। सत्तर और अस्सी के दशक में जबकि राजनीति में महिलाओं की सहभागिता आंशिक थी, उस दौर में वे कांग्रेस की सशक्त महिला नेता बनकर उभरी थी। वे 2 बार सरगुजा जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रही थी। एक महिला होने के बावजूद इस दौरान उन्होंने तत्कालीन सरगुजा जिले के चप्पे-चप्पे का दौरा कर औपचारिक रुप से कांग्रेस के मजबूत संगठन की आधारशिला रखी थी। उनकी राजनैतिक स्मृतियों को याद करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्राी श्री टी0एस0 सिंहदेव ने कहा कि आज से 50-60 वर्ष पूर्व के राजनैतिक दौर में वे महिलाओं और युवाओं की सक्रीय राजनैतिक भागीदारी की पक्षधर थी एवं इस दिशा में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया। उस दौर में उनके द्वारा तराशे गये राजनैतिक युवा तुर्क आज सरगुजा में कांग्रेस के अगुआ हैं। उन्होंने कहा कि सरगुजा वासियों की समस्याओं का निराकरण उनकी निजि प्रतिष्ठा का प्रश्न होता था। उन्होंने कभी भी मदद मांगने आने वाले व्यक्ति को निराश नहीं किया। राजमाता स्व0 देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव के संगठनात्मक क्षमता और समय की पाबंदी का उल्लेख करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्री बालकृष्ण पाठक ने कहा कि उनके सानिध्य में ही उन्होंने संगठन की गतिविधियों को सीखा। उन्होंने कहा कि राजमातां तत्कालीन सरगुजा जिले में कांग्रेस संगठन की असली शिल्पकार थी। उनके बनाये हुए संगठन की बदौलत कांग्रेस आज भी सरगुजा में मजबूत है। राजमाता की धार्मिकता और संस्कारों के प्रति दृढता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि शंकराचाय श्री स्वरुपानंद सरस्वती जी का अम्बिकापुर आगमन हुआ था एवं उनका निवास पैलेस में स्थित राधावल्लभ मंदिर में था। उनके आगमन के पूर्व की समस्त तैयारियों को राजमाता ने स्वयं कराया था। मंदिर में बनाये शंकराचार्य जी के अस्थायी आवास एवं मंदिर में फर्श की सफाई उन्होंने स्वयं की थी। श्री अजय अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने कभी भी राजमाता के सर से पल्लू को गिरते नहीं देखा था। वे भारतीय नारी के परिभाषित आदर्श की प्रतिमूर्ति थी। राजीव भवन में पुष्पांजली के उपरांत प्रतीक्षा बस स्टैण्ड में महाराज स्व0 एम0एस0सिंहदेव एवं राजमाता की युगल प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया एवं इसके उपरांत मॉं महामाया मंदिर में भंडारा का भी आयोजन हुआ। इस दौरान श्री जे0पी0 श्रीवास्तव, श्री द्वितेन्द्र मिश्रा, डॉ0 अजय तिर्की, शफी अहमद, श्री राकेश गुप्ता, हेमंत सिन्हा, नुरुल हसन, मो इस्लाम, सत्येन्द्र तिवारी, जगन्नाथ कुशवाहा, दुर्गेश गुप्ता, शैलेन्द्र सिंह, इंद्रजीत सिंह धंजल, रसीद अहमद अंसारी, विनोद एक्का, लुकस एक्का, विजेन्द्र गुप्ता, मदन जायसवाल, लालचंद यादव, शान्तनु मुखर्जी, अनूप मेहता, आशीष वर्मा, लोकेश पासवान, गुरुप्रीत सिद्धू, नरेन्द्र विश्वकर्मा, जमील खान, विकल झा, वेदप्रकाश शर्मा, सोहन जायसवाल, चंद्रप्रकाश सिंह, रजनीश सिंह, निकी खान, जीवन यादव, हिमांशु जायसवाल, शुभम जायसवाल, आशीष जायसवाल, लक्ष्मी गुप्ता, अटल बिहारी यादव, अमितेज सिंह, अमित सिंह, विकास केशरी, अमित वर्मा, रोशन कन्नौजिया, कलीम अंसारी, मो0 बाबर, काजू खान, रोशन कन्नोजिया, मिथुन सिंह, सपना सिन्हा, मंजू सिंह, संगीता मिंज, सावित्राी ठाकुर, रश्मी सोनी, सुरेन्द्र गुप्ता, आशीष शील, विकास दुबे, जिलानी खान, हनुमान सिंह, दुर्गा गुप्ता, बैजनाथ ठाकुर, जवाहर सोनी आदि मौजूद थे।