रायपुर । बसंत अग्रवाल एक सच्चे सनातनी की भांति बाघेश्वर बाबा की कथा का आयोजन कर रहे है, जिससे कई लोगों का बसंत अग्रवाल के प्रति आस्था और निष्ठा बढ़ती जा रही है जिसके चलते कई लोग आज इस तरह के गलत बयानों को तोड़ मरोड़कर दिखा रहे है। हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय वेब पोर्टलों में बसंत अग्रवाल के एक बयान को लेकर उत्पन्न विवाद ने राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विवादास्पद वीडियो को लेकर कुछ नाड़ा-पायजामा छाप वामपंथी विचारधारा के नेताओं और कुछ तथाकथित मीडिया समूहों ने बसंत अग्रवाल की सामाजिक और धार्मिक छवि को खराब करने का प्रयास किया। जानकारी के अनुसार, विवादास्पद वीडियो में बसंत अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि धर्म से बड़ा कोई नहीं और उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी मंत्री या विधायक के बारे में कोई टिप्पणी करना नहीं था। इसके बावजूद, कुछ नेता और वेब पोर्टलों ने वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश किया और ऐसा प्रचारित किया कि बसंत अग्रवाल किसी खास नेता या मंत्री को नीचा दिखा रहे हैं।
बसंत अग्रवाल ने जनदरबार के संवाददाता से बातचीत में कहा कि उनका बयान केवल सनातन धर्म और धार्मिक कार्यों के प्रति समर्पण को दर्शाने के लिए था। उन्होंने कहा, धर्म का मैं सिपाही हूँ। सनातन धर्म के लिए मैं हमेशा कार्य करता हूँ। जो लोग सनातन धर्म के विरोध में कार्य कर रहे हैं, वे वामपंथी विचारधारा के नाड़ा पायजामा छाप नेता और कुछ वेब पोर्टल कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने मेरे बयान को तोड़ मरोड़कर गलत तरीके से प्रस्तुत किया। बसंत अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि वीडियो में उनके शब्दों का सम्पूर्ण सार धर्म के प्रति उनका प्रेम और समाज में धार्मिक चेतना बढ़ाने का संदेश है। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी के खिलाफ अपमान या तंज करना नहीं था। मैंने जो कहा वह धर्म के महत्व को लेकर था, और यह किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं था। सनातन धर्म की सेवा और प्रचार मेरी प्राथमिक जिम्मेदारी है, उन्होंने कहा।
की उन्होंने बताया कि इस प्रकरण के तहत उन्होंने संबंधित नाड़ा-पायजामा छाप वामपंथी विचारधारा के कार्यकर्ताओं, नेताओं और कुछ अखबारों तथा वेब पोर्टलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी की है। उनका कहना है कि इस तरह गतिविधियां न केवल उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं, बल्कि समाज में सनातन धर्म के प्रति गलत संदेश फैलाने का भी माध्यम बन रही हैं। बसंत अग्रवाल ने कहा कि विगत वर्षों से वे रायपुर और छत्तीसगढ़ में धार्मिक समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कई धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें बड़े पंडित-महात्मा और धार्मिक गुरु उपस्थित हुए। उनका उद्देश्य समाज को सनातन धर्म के मार्ग पर ले जाना और धार्मिक शिक्षाओं का प्रचार करना है।
इस प्रकरण में स्पष्ट है कि कुछ वामपंथी विचारधारा के नेता और उनके समर्थक बसंत अग्रवाल की लोकप्रियता और उनके धर्म-प्रचार कार्यों से असहमत हैं। उनके अनुसार, बसंत अग्रवाल का धर्म और समाज सेवा में अग्रणी होना उन्हें राजनीतिक और सामाजिक रूप से चुनौतीपूर्ण प्रतीत हो रहा है। इसी कारण नाड़ा-पायजामा छाप नेताओं और कुछ मीडिया समूहों ने वीडियो को तोड़ मरोड़कर वायरल किया। बसंत अग्रवाल के समर्थकों ने जनता से रिश्ता के संवाददाता को खुलकर बयान दिया कि यह पूरी घटना सनातन धर्म की छवि को खराब करने की सोची-समझी साजिश है। उनका कहना है कि धर्म और धार्मिक नेताओं के प्रति जनता का सम्मान बढ़ाना और समाज में धार्मिक चेतना जगाना बसंत अग्रवाल का उद्देश्य है।
वहीं, बसंत अग्रवाल ने मीडिया से अपील की कि वे इस तरह के विकृत वीडियो और झूठे प्रचार पर ध्यान न दें और वास्तविक तथ्यों को जनता तक पहुँचाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य समाज में धार्मिक मूल्यों और सनातन धर्म के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। बसंत अग्रवाल ने कहा, मैं धर्म और समाज सेवा के कार्यों में पूरी तरह समर्पित हूँ। मेरी नीयत हमेशा धर्म और समाज के लिए काम करने की रही है। जो लोग मेरे बयान को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, वे समाज के हित में नहीं हैं। मैं न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करूँगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया के इस दौर में किसी भी बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करना आम प्रचलन बन गया है। ऐसे में सार्वजनिक व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने संदेश को स्पष्ट रूप से जनता तक पहुँचाएं और किसी भी प्रकार के गलतफहमियों से बचें। बसंत अग्रवाल ने इस प्रकरण में उसी दृष्टिकोण को अपनाया और अपने बयान का पूरा सार जनता के सामने रखा। बसंत अग्रवाल का कहना है कि उनके धार्मिक और सामाजिक योगदान को देखते हुए उन्हें जनता और समाज से भरपूर समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि वे भविष्य में भी सनातन धर्म की सेवा और प्रचार के कार्यों में आगे रहेंगे और किसी भी तरह के विरोध या बाधा से पीछे नहीं हटेंगे। इस पूरी घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में लोकप्रियता और अग्रणी भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कुछ तत्त्व हमेशा असंतोषजनक गतिविधियां कर सकते हैं। ऐसे में कानूनी कार्रवाई, स्पष्ट संदेश और समाज से जुड़े वास्तविक कार्यों के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान संभव है।