Ambikapur News : छत्तीसगढ़ शासन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब किसी भी प्रकार का शिक्षकों का संलग्नीकरण (Attachment/Deputation) नहीं किया जाएगा। शासन ने 2 सितंबर 2025 को मंत्रालय से आदेश जारी कर सभी जिलों के कलेक्टरों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि संलग्नीकरण पर पूर्ण रूप से रोक रहे। इसके बावजूद सरगुजा जिले में इस आदेश की अवहेलना कर शिक्षकों का संलग्नीकरण करने का मामला सामने आया है।
मिली जानकारी के अनुसार, जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सरगुजा, दिनेश कुमार झा ने 17 सितंबर 2025 को आदेश जारी कर सुमन गुप्ता, सहायक शिक्षक (प्राथमिक शाला महतोपारा असकला, विकासखंड लुंड्रा) को जिला ग्रंथालय अंबिकापुर में कार्य करने हेतु आदेशित कर दिया। यह आदेश कलेक्टर सरगुजा की स्वीकृति से जारी हुआ है। जबकि शासन ने पूर्व में ही स्पष्ट कर दिया था कि शिक्षकों को उनके मूल पदस्थापना स्थल से हटाकर किसी भी प्रकार की संलग्नीकरण प्रक्रिया नहीं की जाएगी।
इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (अल्पसंख्यक विभाग) के प्रदेश महासचिव परवेज आलम गांधी ने सरगुजा संभागायुक्त को शिकायत पत्र सौंपा है। शिकायत में कहा गया है कि शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी सरगुजा ने मनमानी करते हुए संलग्नीकरण आदेश पारित किया है, जो नियम विरुद्ध है और शासन की मंशा के विपरीत है। साथ ही उन्होंने बताया कि उक्त शिक्षिका का पूर्व में युक्तियुक्तिकरण के तहत शासकीय प्राथमिक शाला नागाखार मैनपाट में हुआ था लेकिन उन्होंने वहाँ ज्वाइन नहीं किया। अब जिलाशिक्षाधिकारी से मिलीभगत कर उनका आदेश अंबिकापुर ग्रंथालय के लिए कर दिया गया है। जो कि पूर्ण रूप से गलत है।
शिकायत में मांग की गई है कि सुमन गुप्ता का संलग्नीकरण आदेश तत्काल निरस्त किया जाए और जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार झा के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
शासन के आदेश की अवहेलना के इस मामले ने शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है। शिक्षक संघ और कर्मचारी संगठनों में भी चर्चा है कि जब राज्य स्तर पर संलग्नीकरण पर रोक लगाई जा चुकी है, तो जिला स्तर पर ऐसे आदेश कैसे जारी किए जा रहे हैं। इस तरह की कार्यवाही से न केवल शिक्षकों का मनोबल प्रभावित होता है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।