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छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में रहने वाली इतवारो कवर आज वृद्धावस्था में है।

छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में रहने वाली इतवारो कवर आज वृद्धावस्था में है। 

बेटी की शादी हो जाने के बाद वह एकाकी जीवन जी रही है। और दूसरों के घरों में झाड़ू, पोछा और बर्तन का काम करके अपना जीवन चला रही है। पति की मृत्यु काफी वर्षों पहले हो चुकी है। मिट्टी से बनी पुराने घर की छत कभी भी टपक पड़ती, ऐसे में छत से पानी तो टपकता ही था लेकिन आंख से टपकते आँसु भी गरीबी पर मजबूरी की दास्तान बयाँ करते। ऐसी स्थिति में उसके घर व आंख से टपकते पानी को रोकने में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी ने अहम भूमिका निभाई है।
               इतवारो कवर की व्यथा कथा शासन द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी की सार्थकता को सिद्ध करती है इनके लिए आवास योजना किसी वरदान से कम नही। जब वह पूरी तरह मुसीबतों से घिर गई थी और पति साथ छोड़कर दुनिया से चला गया था। जब उसका 1 कमरे वाला छत बरसात में टपकने लगता तब इतवारो और उसकी बेटी यह देखकर मसोस (अफ़सोस) कर रह जाते। इसी कमरे में रसोई बनाते और उसी में सोना होता। ऐसे में उसे निगम से आवास योजना के बारे में पता चला। इतवारो कवर BPL परिवार से संबंधित है और सामाजिक, आर्थिक रूप से इस योजना के पात्र भी थी। आज इस योजना के तहत उसके पास किचन, शौचालय के साथ 3 कमरों का मकान है। उसका कहना है योजना के तहत उसे की 2.14 लाख राशि मिली है। यदि उसे यह राशि नही मिलती तो वह कभी भी पक्का घर नही बना सकती थी। घर बनाने में परिवार के साथ लोगो ने भी उसकी मदद की और खुद भी उसने घर बनाने के लिए मजदूरी की। आज वह बहुत ख़ुश है। हालांकि पुराने दिनों की याद कर उसके आँखों से आँसु आज भी झलक जाते है। आज इस बुजुर्ग को पक्का आवास नसीब हो गया है इसके लिए वह सरकार को धन्यवाद देती है।

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