*ः-यदि हमारे संस्कार अच्छे एवं व्यवहारिक होगा तो हम अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ेंगे - राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी पार्वती बहन*
*ः-हर परिस्थिति को खुशी से स्वीकार करके, जीवन में सदैव खुश रहना यही जीवन का बहुत बड़ा कला है- ब्रह्माकुमारी ममता बहन*
अम्बिकापुर:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद् सेवा प्रभाग द्वारा नव विश्व भवन चोपड़ापारा, अम्बिकापुर में छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिये आयोजित समर कैम्प 2023 के दूसरे दिन को सकारात्मक दिवस के रूप मे मनाया गया। बच्चों ने आज पूरा दिन सकरात्मक सोचने और मैं एक यूनिक हूँ ऐसे गुणों को अपने अन्दर ग्रहण करने और होमवर्क करने की प्रतिज्ञा की।
राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी ममता बहन ने बच्चों को सदा मुस्कुराने की कला सिखाते हुये कहा कि वर्तमान समय बच्चों के जीवन में अनेक प्रकार की चुनौतियों के कारण वो खुश रहना ही भूल गये है ऐसे समय में हर परिस्थिति को खुशी से स्वीकार करके, जीवन में सदैव खुश रहना यही जीवन का बहुत बड़ी कला है। उन्होंने आगे बच्चों को नई- नई एक्टिविटी द्वारा खुश रहने की विधि बताते हुये कहा कि जैसे एक छोटा बच्चा होता है, वो दिन में 70 से 80 बार मुस्कुराता है तथा उनकी मुस्कान निश्छल होती है, उसी प्रकार हमारी मुस्कान भी निश्छल और निःस्वार्थ होनी चाहिये। खुशी से व्यक्तित्व का भी पहचान होता है और व्यक्ति का मन जितना खुश रहता है, उतना ही उनका शरीर भी स्वस्थ और तन्दुरूस्त रहता है इसलिये व्यक्ति को एक दिन एक गुणा खाना चाहिये, दो गुणा पानी पीना चाहिये, तीन गुणा एक्सरसाइज करना चाहिये और चार गुणा मुस्कुराना चाहिये।
राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी पार्वती बहन ने बच्चों के उनके अन्दर की शक्तियों की पहचान कराते हुये कहा कि जैसे हम सभी यह जानते है कि यह शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना हैं उसी प्रकार से स्वयं को जानना और स्वयं की आन्तरिक शक्तियों और गुणों को पहचानना भी अति आवश्यक है। क्योंकि आत्मा एक चैतन्य शक्ति, अजर, अमर अविनाशी है। उसके अन्दर सम्पूर्ण शक्तियाँ एवं गुण निहित हैं। और साथ ही साथ उन्होंने अपने मन को मित्र बनाने की बात कही। मन को मित्र बनाना अर्थात् मन के अन्दर अच्छे- अच्छे, शुद्ध, सकारात्मक विचारों को क्रियेट करना। जब मन सकारात्मक विचार क्रियेट करता है, तो वो खुश रहता है। आगे उन्होंने बच्चों को संस्कारों की गुहृता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि यदि हमारे संस्कार अच्छे एवं व्यवहारिक होगा तो हम अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ेंगे।
ब्रह्माकुमारी प्रतिमा बहन ने बच्चों को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कॉमेन्ट्री के माध्यम से कराया, सभी बच्चों ने शांति की अनुभूति की।
बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहें, वो चुस्त- फुर्त रहे इसके लिये क्रियेटीव एक्सरसाइज भी कराया गया।
0 Comments